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लेखनी कहानी -29-Sep-2023 फॉर्म हाउस

फॉर्म हाउस  भाग 15

शिमला में मौज मस्ती करते हुए हीरेन और मीना को तीन दिन हो गये थे । शिमला है ही ऐसी जगह जहां से जाने को मन ही नहीं करता है । यदि सर्दियों में आना हो तो यहां पर होने वाले हिमपात का अद्भुत आनंद लिया जा सकता है । कितना सुन्दर दृश्य होगा वह जब बाहर आसमान से बर्फ कतरा कतरा कर के गिरती रहती है और अंदर दो जवां दिल इश्क की गर्मी में पसीना पसीना होते हैं । यही आनंद नवविवाहित जोड़ों और प्रेमी प्रेमिकाओं को यहां शिमला खींच लाता है । हीरेन और मीना भी यहां दूसरी बार आये थे । पर मुश्किल तो रीना जैसी अकेली लड़कियों की होती है जो अपना जोड़ा अभी तक नहीं बना पाई है । इतने सारे प्रेमी जोड़ों को देखकर रीना को बहुत ग्लानि हुई , पर वह करे तो क्या करे ? मजाक के मूड़ में रीना बोली  "ऐ मीना , तू इतनी दिनों से जीजू के साथ साथ घूम रही है , क्या तेरा पेट भरा नहीं है अभी ? मेरी तरफ भी तो देख यार । मैं यहां अकेली ईर्ष्या की आग में जलकर भस्म हुई जा रही हूं और तू मौज किए जा रही है" । "तो तुझे किसने कहा है अकेले रहने के लिए ? ढूंढ ले तू भी कोई अपना साथी" ! मीना ने भी चौका जडते हुए कहा ।  "यहां तो सब जोड़े में ही आते हैं , अकेले कौन आता है ? यहां कहां ढूंढूं मैं अपना साथी" ? "तो फिर तू चुपचाप तमाशा देख और कुढ़ती रह । बिलबिला क्यों रही है" ? मीना ने एक मीठी झिड़की भी सुना दी उसे ।  "नहीं, मेरा मन भी कर रहा है ऐसे ही चिपकने का, जैसे तू जीजू के साथ साथ चिपक कर चल रही है । एक बात सुन , यदि मैं थोड़ी देर के लिए जीजू के साथ चिपक लूं तो तुझे कोई ऐतराज तो नहीं होगा ना" ? आखिर रीना ने अपने मन की बात कह ही दी ।  "ओए , खबरदार जो उधर देखा ! उधर लार टपकाना बंद कर , वहां पर तो नो ऐंट्री का बोर्ड टंगा हुआ है पहले से ही" । "थोड़ा सा तो रहम कर पत्थर दिल । इतनी निष्ठुर क्यों हो रही है ? मैं क्या जीजू को खा जाऊंगी जो इतना डर रही है ?  देख, बस हलके से ही चिपकूंगी उनसे, और इसके अंदाजा कुछ भी नहीं करूंगी उनके साथ । मैं प्रॉमिस करती हूं" । रीना बच्चों की तरह ठिनकते हुए बोली ।  "ऐसे नहीं मानेगी तू, अभी बताती हूं तुझे" । कहते हुए मीना रीना के पीछे दौड़ने लगी । रीना आगे आगे और मीना पीछे पीछे ।  इतने में हीरेन आ गया । "अरे ये क्या मस्ती चल रही है दोनों सहेलियों में" ?  "अरे कुछ नहीं , आज रीना की इच्छा हो रही है कि वह..." मीना आगे कुछ कहती कि इससे पहले रीना बोल पड़ी  "आज जाखो हनुमान मंदिर चलते हैं ना ! क्यों जीजू" ?  "हां , हां, क्यों नहीं ? एक प्याला ग्रीन टी पीकर चलते हैं । क्या आपके हाथों से बनी हुई एक प्याला ग्रीन टी मिलेगी क्या मीना" ?  हीरेन ने बड़े प्यार से मीना की ओर देखते हुए पूछा । मीना कुछ कहती इससे पहले ही रीना बोल पड़ी  "मैं लाती हूं आपके लिए ग्रीन टी जीजू" ।  और बिना उत्तर सुने वह अंदर भाग गई । हीरेन उसे आश्चर्य से देखने लगा ।  "ऐसे क्या देख रहे हो उसे , कच्चा चबा जाओगे क्या" ? मीना गजब की एक्टिंग करते हुए बोली । इस पर हीरेन झेंप गया ।  "तुम भी ना मीना , जाने क्या क्या बक जाती हो" ?  "अच्छा जी, हमारा तो बोलना भी अब बकना लगने लगा है आपको और वह "रसगुल्ला" लग रही है । क्यों है ना" ? मीना उसे छेड़ते हुए बोली ।

इस पर हीरेन क्या कहता ? उसे लगा कि बिना बात ही झगड़ा तैयार खड़ा है इसलिए वह चुपचाप खड़ा रहा । पर मीना को उसकी चुप्पी बहुत अखरती है इसलिए वह हीरेन के एकदम पास पहुंच कर बोली  "वैसे एक बात कहें , रसगुल्ला बिल्कुल तैयार है । वह इंतजार कर रहा है कि आप उसे उठा लो और झट से मुंह में रख लो ! वह बहुत तड़प भी रहा है आज" ! मीना ने बांयी आंख मारते हुए कहा ।

हीरेन विक्षिप्तों की तरह मीना को देखने लगा और सोचने लगा "आज इसे क्या हो गया है ? यह बहकी बहकी बातें क्यों कर रही है" ?  पर प्रत्यक्षत: वह बोला कुछ नहीं । मीना ने हीरेन का हाथ दबाते हुए हौले से कहा  "आज रीना 'मूड' में है । उसे आपकी कंपनी चाहिए आज । वह आपके नजदीक आना चाहती है । इसलिए आप दोनों ही हो आना जाखो मंदिर । वह भी आपके साथ थोड़े पल गुजार लेगी । और हां, वह अगर कुछ करे तो मना मत करना , उसे करने देना" ।  कहकर मीना नीची गर्दन किये अंदर जाने लगी । हीरेन अवाक् होकर उसकी बातें सुन रहा था । वह झट से लपका और मीना का हाथ पकड़कर उसका चेहरा अपनी ओर किया तो उसकी दोनों आंखों से आंसू टपक पड़े ।

"अरे , ये क्या ? आप रो क्यों रही हैं" ? हीरेन के इस मासूम से सवाल पर मीना के अधरों पर मुस्कान खेल गई । वह बोली "रहने दो , तुम नहीं समझोगे" । इतने में रीना ग्रीन टी लेकर आ गई । तीनों बैठकर ग्रीन टी पीने लगे । रीना हीरेन के एकदम पास बैठी थी । बातें करते करते जब कभी हीरेन का हाथ उसके शरीर से टकराता, उसके बदन में ऐसे हलचल होने लगती थी जैसे शांत जल में किसी ने कंकर फेंक दिया हो ।

तीनों जने जाखो हनुमान मंदिर पहुंच गये । वहां पर बंदरों का साम्राज्य है । वे हर इंसान की ऐसे तलाशी लेते हैं जैसे किसी एयरपोर्ट पर सी आई एस एफ के अधिकारी तलाशी लेते हैं । जेबों से स्वयं ही खाद्य सामग्री निकाल लेते हैं । रीना ने अपनी जींस की जेब में प्रसाद रख लिया था इसलिए उसके पीछे बंदरों की फौज लग गई । वैसे भी बंदर सुन्दर चेहरे और खाने पीने की चीजों पर धावा बोलते हैं । रीना को बंदरों से घिरा हुआ देखकर उसकी मदद के लिए हीरेन दौड़ा और उसने अपनी जेब से प्रसाद निकाल कर बंदरों की ओर उछाल दिया । इससे बंदरों ने रीना को छोड़ दिया । रीना भागकर मीना के पास आ गई । फिर संयत होने पर तीनों आगे बढने लगे । हीरेन के एक ओर मीना तो दूसरी ओर रीना चलने लगी । बंदरों के डर से रीना को हीरेन से सटकर चलने का मौका मिल गया था । ईश्वर ने उसकी प्रार्थना सुन ली थी । वह हीरेन के बदन का स्पर्श पाकर ही प्रफुल्लित हो गई थी ।

जाखो मंदिर में दर्शन करने और पूजा अर्चना करने के पश्चात जैसे ही वे लोग वहां से चलने को उद्यत हुए तो सामने से एक प्रेमी युगल आते हुए दिखाई दिया ।  "आप हीरेन दा हैं ना ? प्रसिद्ध जासूस हीरेन आप ही हैं" ? अचानक सामने से आ रही उस युवती ने विस्मय से हीरेन से पूछा । उसके चेहरे पर गजब का उत्साह था ।  "हां, हां , मैं ही हीरेन हूं पर आप कौन हैं" ?

हीरेन का जवाब सुनकर वह युवती जोर से उछल पड़ी और अपने साथी से बोली "देखा, मैंने कहा था ना कि ये हीरेन हैं । भारत के प्रसिद्ध जासूस । मैं सही निकली" ।  ऐसा कहते हुए उस युवती ने हीरेन के गालों पर एक चुंबन अंकित कर दिया । मीना, रीना और हीरेन तीनों अवाक् होकर उसे देखने लगे । तीनों को अपनी ओर घूरते हुए देखकर वह युवती एकदम से सकपका गई और बोली "सब मुझे ऐसे क्यों देख रहे हैं" ? फिर उसे अपने द्वारा किये गये "किस" का ध्यान आ गया । तब वह शरमाते हुए बोली  "सॉरी , एक्साइटमेंट में मैं वह कर गई थी , मुझे माफ कर देना सर" ।  "इट्स ओके" । हीरेन के बजाय मीना ने जवाब दिया । दिल तो उसी का जल रहा था । रीना भी मीना को देखकर हंसने लगी थी ।  "सर, ऑटोग्राफ प्लीज" ! वह लडकी तुरंत बोली

"याह् ! श्योर" । कहते हुए हीरेन अपनी जेब में पैन तलाश करने लगा पर उसकी जेब में पेन नहीं था । तब उस लड़की ने अपने पार्टनर को कहा  "आप दे दो ना अपना पेन" । उसके पार्टनर ने अपनी जेब से पेन निकाला और उस लड़की को दे दिया । उसका नाम सायशा था , उसने पेन हीरेन को दे दिया । हीरेन ने सायशा की ओर देखा । वाकई वह बहुत सुन्दर लग रही थी , मिस वर्ल्ड जैसी । सायशा ऑटोग्राफ लेने के लिए अपना पर्स तलाशने लगी लेकिन वहां कुछ नहीं था । तब उसने अपनी कलाई को हीरेन के सामने कर दिया । हीरेन ने उस पर अपने हस्ताक्षर कर दिये तब सायशा ने उन्हें चूम लिया ।  "सर, एक सेल्फी प्लीज" ? सायशा ने बहुत आग्रह से कहा था इसलिए हीरेन उसे टाल न सका ।  "मीना, रीना । तुम भी आ जाओ" हीरेन ने दोनों से कहा । पर मीना सायशा जैसी लड़कियों को कैसे झेल सकती थी ? वह दूर जाकर चेहरे पर नाराजगी के भाव सजाकर खड़ी हो गई लेकिन रीना को फिर से हीरेन से सटकर खड़े होने का अवसर मिल रहा था ।  "मिस्टर, आप भी आइए ना" हीरेन ने सायशा के पार्टनर से कहा । "ओह ! मैं तो परिचय कराना भूल ही गई" । सायशा अपने प्रेमी का परिचय कराने लगी "ये हैं मिस्टर शाहरुख, माई ब्वाय फ्रेंड । और ये हैं मिस्टर हीरेन । प्रसिद्ध जासूस और वकील" ।

सेल्फी लेने के बाद हीरेन ने सायशा से कहा "ये पिक मुझे भेजना" ।  "क्या आप मेरी पिक अपने मोबाइल में रखेंगे ? ओ माई गॉड ! आई कान्ट बिलीव दिस" । वह उत्साह और खुशी से दोहरी हो गई । "काइण्डली गिव मी योर सेल नंबर" । हीरेन ने अपना मोबाइल नंबर उसे दे दिया और सायशा ने वह पिक हीरेन को भेज दी ।  "मिस सायशा, यदि आप बुरा ना मानें तो आपका यह पैन मैं रख लूं ? याददाश्त के लिए मैं अपने फैन्स की कोई न कोई चीज ले लेता हूं । यदि आपको ऐतराज ना हो तो" हीरेन ने कहा  "अरे सर, इट्स माई प्लेजर । आपने तो आज का दिन मेरा अमर कर दिया । आप बहुत सौम्य और सरल हैं,सर "! इस तरह हीरेन ने वह पैन लेकर अपनी जेब में रख लिया ।

इन सब बातों से मीना बहुत खफा हो गई थी । वह सब कुछ सहन कर सकती है पर हीरेन पर किसी और का हक सहन नहीं कर सकती है । जैसे ही हीरेन ने मीना का रौद्र रूप देखा तो हीरेन उसे मनाने के लिए उसका हाथ पकड़ने लगा तो मीना ने उसका हाथ झिड़क दिया और कहा  "जाओ उस चुडैल के पास ! यहां क्यों आये हो ? और ले लो दो चार सेल्फी । आपने उसका पेन ही क्यों लिया, उसकी लिपस्टिक वगैरह क्यों नहीं ली ? लिपस्टिक से वह आपके जेहन में हरदम बनी रहती" । मीना का स्वर रुंआसा हो गया था ।  "ओह ! तो ये बात है ? गुस्सा ना करो मीना । वह पैन मुझे जाना पहचाना सा लग रहा था , इसीलिए उसे जानबूझकर लिया था । क्या पता वह पैन कोई महत्वपूर्ण "क्लू" बन जाये । और कोई इरादा नहीं था मेरा" । हीरेन की सफाई सुनकर मीना का आवेश काफी कम हो गया पर अभी वह नॉर्मल नहीं हुई थी ।

जाखो मंदिर से नीचे आकर एक ढाबे से तीनों ने कडक चाय पी तब वह नॉर्मल  हुई ।

शेष अगले भाग में  श्री हरि, 17.10.23

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6 Comments

Abhinav ji

24-Oct-2023 08:00 AM

Aage ki kahani kab prakashit hogi ??

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Mohammed urooj khan

21-Oct-2023 12:50 PM

👌🏾👌🏾👌🏾

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RISHITA

20-Oct-2023 10:52 AM

Awesome

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